होश न उनको था और न ही हमें, आज़ादी भी मिली, संविधान भी बना, कई सरकारें आईं और कई चली भी गईं, लेकिन… किसी ने उसकी सुध लेने की कोशिश नहीं की, जिसने हमारी इस आज़ादी के लिए अपनी ज़िंदगी तक कुर्बान कर दी. कोई कहता है कि उनकी मौत प्लेन क्रैश होने से हुई है, तो कईयों का कहना है कि उनकी मौत नहीं हुई थी. लेकिन… इसे क़िस्मत का ही खेल कहा जाए, या फ़िर उनकी बदक़िस्मती!, अभी तक उनकी मौत की पुष्टि नहीं हुई है. कहते हैं, कि जो पीढ़ी उसके पुरखों और इतिहास को भूल जाती है उससे अधिक अभागा कोई नहीं हो सकता. यदि कोई देश उसकी पुरातन संस्कृति, अतीत और देश की आज़ादी के लिए उनके लहू की कुर्बानी देने वाले लड़ाकों को भूल जाता है तो इससे बड़ी विडम्बना क्या हो सकती है? वर्तमान समाज को इस बात पर गहन चिंतन-मनन करना चाहिए कि आख़िर हम क्यों अपने पुरातन नायकों को भुलाते जा रहे हैं. अब आप सभी सोच रहे होंगे कि ऐसी क्या ज़रूरत पड़ गई कि हमने मौसम-बेमौसम ही देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम का राग अलापना शुरु कर दिया. दरअसल बात कुछ ऐसी है कि हम आपको बताने जा रहे है “Subhash Chandra Bose Interesting Facts in Hindi” जो हममें से अधिकतर को नहीं मालूम होंगे…
Subhash Chandra Bose Interesting Facts in Hindi
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में रोचक तथ्य
1. आजाद हिंद फौज का गठन करके अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले फ्रीडम फाइटर सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उ़डीसा के कटक शहर में हुआ था.
2. सुभाष चन्द्र बोस अपनी माता-पिता की 14 सन्तानों में से नौवीं सन्तान थे।
3. सुभाषचंद्र बोस ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी भगत सिंह की फांसी रुकवाने का भरसक प्रयत्न किया. उन्होंने गांधी जी से कहा कि वह अंग्रेजों से किया अपना वादा तोड़ दें लेकिन वह भगत सिंह को बचाने में नाकाम रहे.
4. उनके पिता की इच्छा थी कि सुभाष आई.सी.एस. बनें. उन्होंने अपने पिता की यह इच्छा पूरी की. 1920 की आई.सी.एस. परीक्षा में उन्होंने चौथा स्थान पाया मगर सुभाष का मन अंग्रेजों के अधीन काम करने का नहीं था. 22 अप्रैल 1921 को उन्होंने इस पद से त्यागपत्र दे दिया.
5. सन् 1933 में उन्हें देश निकाला दे दिया। 1934 में पिताजी की मृत्यु पर तथा 1936 में काँग्रेस के (लखनऊ) अधिवेशन में भाग लेने के लिए सुभाष चन्द्र बोस दो बार भारत आए, मगर दोनों ही बार ब्रिटिश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर वापस देश से बाहर भेज दिया।
6. सबसे पहले गाँधीजी को राष्ट्रपिता कह कर सुभाष चंद्र बोस ने ही संबोधित किया था।
7. सन् 1938 में सुभाष चन्द्र बोस कांग्रेस के अध्यक्ष हुए। अध्यक्ष पद के लिए गांधी जी ने उन्हें चुना था। गांधी जी तथा उनके सहयोगियों के व्यवहार से दुःखी होकर अन्ततः सुभाष चन्द्र बोस ने 29 अप्रैल, 1939 को कांग्रेस अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया।
चित्र : हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन में (सन् 1938) महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, सरदार बल्लभ भाई पटेल और पीछे राजेंद्र प्रसाद जी
8. एक समय ऐसा था जब लौह पुरुष सरदार पटेल ने सुभाषचंद्र बोस के खिलाफ मामूली संपत्ति के लिए मुकदमा किया था, जबकि सच्चाई यह थी कि वह केवल गांधी के सम्मान में सुभाष को नीचा दिखाना चाहते थे।
9. अपने जीवनकाल में नेताजी को कुल 11 बार कारावास की सजा काटनी पड़ी. आखिरी बार 1941 को उन्हें कलकत्ता कोर्ट में पेश होना था लेकिन नेताजी अपने घर से भागकर जर्मनी चले गए और हिटलर से मुलाकात की.
10. सुभाषचंद्र बोस जी को नेताजी कहने वाला पहला शख्स एडोल्फ हिटलर ही था।
11. सुभाषचंद्र बोस 1934 में अपना इलाज करवाने आस्ट्रिया गए थे जहां उनकी मुलाकात एक एमिली शेंकल नाम की टाइपिस्ट महिला से हुई. नेताजी इस महिला से अपनी किताब टाइप करवाने के लिए मिले थे. इसके बाद नेताजी ने 1942 में इस महिला से शादी कर ली.
12. नेताजी ने दुनिया की पहली महिला फौज का गठन किया था।
13. नेताजी की मौत के संबंध में अब तक मिले साक्ष्यों के आधार पर नेताजी की मौत 18 अगस्त 1945 को ताइहोकू एयरपोर्ट पर उनके विमान के क्रेश होने से हुई थी. हालांकि इस बारे में पुख्ता जानकारी अभी तक आम लोगों के लिए जारी नहीं की गई है.
14. नेताजी सुभाष चंद्र बोस को 1992 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया लेकिन ये बाद में वापिस ले लिया।
15. यह बात शायद बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि नेताजी की अस्थियां जापान के रैंकोजी मंदिर में एक पुजारी ने आज भी संभाल कर रखी हुई हैं।
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